फ्लैट के पुराने होने पर वहां रहने वालों का क्या होता है?

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जब कोई फ्लैट पुराना हो जाता है (आमतौर पर 20-30 साल या उससे अधिक), तो इससे वहां रहने वालों पर कई तरह के प्रभाव पड़ सकते हैं। ये प्रभाव भौतिक, आर्थिक, सामाजिक और कानूनी पहलुओं से संबंधित हो सकते हैं। नीचे मैं इन प्रभावों को विस्तार से समझाता हूँ, खासकर गुरुग्राम या दिल्ली जैसे भारतीय शहरों के संदर्भ में, जहां सर्कल रेट्स में हाल की वृद्धि (2025) और DDA हाउसिंग स्कीम जैसे प्रोजेक्ट्स प्रासंगिक हैं:

1. भौतिक प्रभाव (Physical Impact)

  • संरचनात्मक घिसाव: पुराने फ्लैट्स में दीवारों में दरारें, पानी का रिसाव, पाइपलाइन की जंग, और बिजली की वायरिंग में खराबी जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। इससे मरम्मत का खर्च बढ़ता है।
    • उदाहरण: गुरुग्राम में पुराने सोसाइटी फ्लैट्स (जैसे DLF फेज 1-2, 20-30 साल पुराने) में पानी की पाइपलाइन या लिफ्ट की बार-बार मरम्मत की जरूरत पड़ती है।
  • सुविधाओं की कमी: पुराने फ्लैट्स में आधुनिक सुविधाएं (जैसे स्मार्ट होम सिस्टम, हाई-स्पीड इंटरनेट, या पर्याप्त पार्किंग) नहीं होतीं, जो नए फ्लैट्स में आम हैं।
  • सुरक्षा चिंताएं: पुरानी इमारतों में अग्नि सुरक्षा उपाय (फायर सप्रिंकलर) या भूकंप-रोधी डिज़ाइन की कमी हो सकती है, जिससे जोखिम बढ़ता है।
  • पुनर्विकास की संभावना: अगर इमारत बहुत पुरानी या असुरक्षित हो जाती है, तो सोसाइटी पुनर्विकास (रिडेवलपमेंट) का फैसला ले सकती है, जिसमें निवासियों को अस्थायी रूप से दूसरी जगह शिफ्ट करना पड़ सकता है।

2. आर्थिक प्रभाव (Economic Impact)

  • मूल्य में कमी: पुराने फ्लैट्स की रीसेल वैल्यू कम हो सकती है, खासकर अगर रखरखाव खराब हो या क्षेत्र में नए प्रोजेक्ट्स की आपूर्ति अधिक हो।
    • उदाहरण: गुरुग्राम में सर्कल रेट 2025 में 20-145% बढ़े हैं (जैसे गुरुग्राम गांव में ₹45,000 प्रति वर्ग गज), लेकिन पुराने फ्लैट्स की कीमत नए फ्लैट्स की तुलना में कम बढ़ती है।
  • उच्च रखरखाव लागत: पुराने फ्लैट्स में रखरखाव शुल्क बढ़ जाता है, क्योंकि लिफ्ट, पानी की टंकी, या बाहरी मरम्मत की लागत अधिक होती है। गुरुग्राम में यह ₹2-5 प्रति वर्ग फुट मासिक हो सकता है।
  • किराये की आय में कमी: पुराने फ्लैट्स को किराये पर देना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि किरायेदार नए फ्लैट्स को प्राथमिकता देते हैं। भारत में किराये की आय वैसे भी कम (2-3%) है, और पुराने फ्लैट्स में यह और कम हो सकती है।
  • पुनर्विकास लागत: अगर सोसाइटी रिडेवलपमेंट चुनती है, तो निवासियों को नए निर्माण के लिए अतिरिक्त लागत (जैसे डेवलपर को भुगतान या अस्थायी आवास का खर्च) देना पड़ सकता है।

3. सामाजिक प्रभाव (Social Impact)

  • जीवनशैली पर असर: पुराने फ्लैट्स में आधुनिक सुविधाओं (जैसे जिम, स्विमिंग पूल, क्लब हाउस) की कमी के कारण रहने वालों को असुविधा हो सकती है। नए खरीदार या किरायेदार आधुनिक सोसाइटीज को तरजीह देते हैं।
  • सामुदायिक बदलाव: पुराने फ्लैट्स में पुराने निवासी रह सकते हैं, लेकिन नए लोग कम आते हैं, जिससे सामुदायिक गतिविधियां कम हो सकती हैं।
  • किरायेदारों की प्राथमिकता: किरायेदार, खासकर युवा पेशेवर, पुराने फ्लैट्स की बजाय नए प्रोजेक्ट्स (जैसे DDA 2025 स्कीम के नरेला या द्वारका फ्लैट्स) चुन सकते हैं।

4. कानूनी और प्रशासनिक प्रभाव (Legal and Administrative Impact)

  • सोसाइटी नियम: पुरानी सोसाइटीज में रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) के नियम सख्त हो सकते हैं, जैसे मरम्मत के लिए अतिरिक्त शुल्क या रिडेवलपमेंट के लिए सहमति की जरूरत।
  • पुनर्विकास प्रक्रिया: अगर इमारत को तोड़कर नया निर्माण होता है, तो निवासियों को डेवलपर के साथ समझौता करना पड़ता है। इसमें नए फ्लैट का आकार, लागत, या अस्थायी आवास की शर्तें तय होती हैं। असहमति के कारण विवाद हो सकते हैं।
  • कानूनी जोखिम: पुराने फ्लैट्स में स्वामित्व विवाद, गैर-कानूनी निर्माण, या अनअप्रूव्ड मॉडिफिकेशन की समस्याएं सामने आ सकती हैं, जो बिक्री या रिडेवलपमेंट को जटिल बनाती हैं।
  • RERA नियम: रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट, 2016 के तहत, पुराने प्रोजेक्ट्स में रिडेवलपमेंट के लिए RERA अनुमोदन जरूरी है, जिससे प्रक्रिया लंबी हो सकती है।

5. पुनर्विकास (Redevelopment) का प्रभाव

  • सकारात्मक पक्ष:
    • रिडेवलपमेंट से निवासियों को बड़ा और आधुनिक फ्लैट मिल सकता है। उदाहरण के लिए, गुरुग्राम में पुरानी सोसाइटीज (जैसे DLF या सुशांत लोक) में रिडेवलपमेंट से फ्लैट का मूल्य बढ़ सकता है।
    • नए फ्लैट्स में आधुनिक सुविधाएं (जैसे स्मार्ट होम, बेहतर पार्किंग) मिलती हैं।
  • नकारात्मक पक्ष:
    • निवासियों को रिडेवलपमेंट के दौरान 2-3 साल के लिए किराए के घर में रहना पड़ सकता है, जिसका खर्च बढ़ता है।
    • डेवलपर के साथ समझौते में पारदर्शिता की कमी या विवाद हो सकता है।
    • कुछ निवासी रिडेवलपमेंट के लिए सहमत नहीं होते, जिससे प्रक्रिया रुक सकती है।

6. स्वास्थ्य और पर्यावरणीय प्रभाव

  • स्वास्थ्य जोखिम: पुराने फ्लैट्स में नमी, फफूंदी, या खराब वेंटिलेशन से स्वास्थ्य समस्याएं (जैसे एलर्जी या श्वसन रोग) हो सकती हैं।
  • पर्यावरणीय मुद्दे: पुरानी इमारतें ऊर्जा-कुशल नहीं होतीं, जिससे बिजली और पानी का बिल अधिक आ सकता है। नए फ्लैट्स (जैसे DDA 2025 स्कीम में) में ग्रीन बिल्डिंग मानक होते हैं, जो पुराने फ्लैट्स में नहीं होते।

7. गुरुग्राम/दिल्ली संदर्भ (2025)

  • सर्कल रेट वृद्धि: गुरुग्राम में 2025 में सर्कल रेट्स में 20-145% की वृद्धि (जैसे DLF अरालियस में ₹39,325 प्रति वर्ग फुट) से नए फ्लैट्स की कीमतें बढ़ गई हैं, लेकिन पुराने फ्लैट्स की रीसेल वैल्यू तुलनात्मक रूप से कम बढ़ती है।
  • DDA स्कीम्स: दिल्ली में DDA हाउसिंग स्कीम 2025 (जैसे नरेला में EWS फ्लैट्स ₹8.8-29.75 लाख) नए और सस्ते फ्लैट्स की पेशकश कर रही है, जिससे पुराने फ्लैट्स की मांग कम हो सकती है।
  • रखरखाव लागत: गुरुग्राम में पुरानी सोसाइटीज (20+ साल) में रखरखाव लागत नए प्रोजेक्ट्स की तुलना में अधिक हो सकती है, क्योंकि पुरानी इमारतों में बार-बार मरम्मत की जरूरत पड़ती है।

निवासियों के लिए विकल्प और समाधान

  1. मरम्मत और नवीनीकरण:
  • फ्लैट में व्यक्तिगत मरम्मत (जैसे वाटरप्रूफिंग, नई वायरिंग) करवाएं।
  • लागत: ₹500-1,500 प्रति वर्ग फुट, फ्लैट के आकार और मरम्मत के दायरे पर निर्भर।
  1. सोसाइटी रिडेवलपमेंट:
  • RWA के साथ मिलकर डेवलपर से रिडेवलपमेंट के लिए बात करें। यह लंबा (3-5 साल) लेकिन फायदेमंद हो सकता है।
  • सुनिश्चित करें कि डेवलपर RERA-अनुमोदित हो और समझौता पारदर्शी हो।
  1. बेचना और नया फ्लैट खरीदना:
  • पुराना फ्लैट बेचकर नया फ्लैट (जैसे DDA 2025 स्कीम में) खरीदें। हालांकि, गुरुग्राम में सर्कल रेट वृद्धि के कारण नया फ्लैट महंगा हो सकता है।
  1. किराये पर देना:
  • अगर रीसेल वैल्यू कम है, तो फ्लैट को किराये पर दें, लेकिन किराये की आय कम होने की संभावना रहती है।
  1. कानूनी सलाह:
  • पुराने फ्लैट्स में स्वामित्व या रिडेवलपमेंट विवादों के लिए प्रॉपर्टी वकील की सलाह लें।

सुझाव

  • नियमित रखरखाव: RWA के साथ मिलकर इमारत का नियमित रखरखाव सुनिश्चित करें ताकि मूल्य और रहने की स्थिति बनी रहे।
  • बाजार विश्लेषण: पुराने फ्लैट की रीसेल वैल्यू और किराये की मांग का आकलन करें। गुरुग्राम में, नए प्रोजेक्ट्स (जैसे द्वारका एक्सप्रेसवे) पुराने फ्लैट्स की मांग को प्रभावित कर सकते हैं।
  • RERA पोर्टल: रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स की वैधता rera.haryana.gov.in पर जांचें।
  • वित्तीय योजना: रिडेवलपमेंट या मरम्मत की लागत के लिए पहले से बजट बनाएं।
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