बैनामा और रजिस्ट्री दोनों ही प्रॉपर्टी के हस्तांतरण से संबंधित दस्तावेज हैं, लेकिन इनमें कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं। नीचे इनके बीच का अंतर, विशेष रूप से गुरुग्राम जैसे क्षेत्रों (2025 के सर्कल रेट संदर्भ के साथ) के लिए, सरल और स्पष्ट भाषा में समझाया गया है:
1. परिभाषा
- बैनामा: बैनामा (या बिक्री विलेख/सेल डीड) एक कानूनी दस्तावेज है, जो प्रॉपर्टी के विक्रेता और खरीदार के बीच हुए समझौते को दर्शाता है। यह प्रॉपर्टी के हस्तांतरण (बिक्री) का लिखित प्रमाण है, जिसमें प्रॉपर्टी का विवरण, कीमत, और शर्तें शामिल होती हैं। बैनामा रजिस्ट्री का आधार होता है।
- रजिस्ट्री: रजिस्ट्री वह प्रक्रिया है, जिसमें बैनामा को सरकारी कार्यालय (सब-रजिस्ट्रार कार्यालय) में आधिकारिक रूप से दर्ज किया जाता है। यह प्रॉपर्टी के स्वामित्व को कानूनी रूप से मान्यता देने और सार्वजनिक रिकॉर्ड में दर्ज करने की प्रक्रिया है। रजिस्ट्री के बाद ही प्रॉपर्टी का स्वामित्व पूरी तरह से खरीदार के नाम हस्तांतरित होता है।
2. प्रकृति
- बैनामा: यह एक दस्तावेज है, जो खरीदार और विक्रेता के बीच प्रॉपर्टी की बिक्री को औपचारिक बनाता है। यह स्टांप पेपर पर तैयार किया जाता है और दोनों पक्षों द्वारा हस्ताक्षरित होता है।
- रजिस्ट्री: यह एक सरकारी प्रक्रिया है, जिसमें बैनामा को सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क के साथ दर्ज किया जाता है। रजिस्ट्री के बिना बैनामा कानूनी रूप से पूर्ण मान्यता प्राप्त नहीं होता।
3. कानूनी मान्यता
- बैनामा: अगर बैनामा रजिस्टर्ड नहीं है, तो यह कानूनी रूप से कमजोर हो सकता है। गैर-रजिस्टर्ड बैनामा को कोर्ट में प्रॉपर्टी के स्वामित्व का पूर्ण प्रमाण नहीं माना जाता।
- रजिस्ट्री: रजिस्ट्री के बाद बैनामा कानूनी रूप से मान्य हो जाता है और प्रॉपर्टी का स्वामित्व आधिकारिक रूप से खरीदार के नाम दर्ज हो जाता है। यह सार्वजनिक रिकॉर्ड का हिस्सा बनता है, जो भविष्य में विवादों से बचाता है।
4. प्रक्रिया
- बैनामा:
- खरीदार और विक्रेता के बीच प्रॉपर्टी की बिक्री का समझौता होता है।
- बैनामा स्टांप पेपर पर तैयार किया जाता है, जिसकी कीमत प्रॉपर्टी के मूल्य और सर्कल रेट पर निर्भर करती है (उदाहरण: गुरुग्राम में 2025 में सर्कल रेट 20-145% बढ़े हैं, जैसे बजघेड़ा में ₹5 करोड़ प्रति एकड़)।
- इसमें प्रॉपर्टी का विवरण (खसरा नंबर, क्षेत्र), कीमत, भुगतान शर्तें, और दोनों पक्षों के हस्ताक्षर शामिल होते हैं।
- रजिस्ट्री:
- बैनामा को सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में ले जाकर रजिस्टर करवाया जाता है।
- स्टांप ड्यूटी (गुरुग्राम में 5-7% प्रॉपर्टी मूल्य पर) और रजिस्ट्रेशन शुल्क (आमतौर पर ₹10,000-50,000) का भुगतान करना पड़ता है।
- खरीदार और विक्रेता को गवाहों के साथ कार्यालय में उपस्थित होना पड़ता है।
- रजिस्ट्री के बाद दस्तावेज को सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज किया जाता है, और खरीदार को रजिस्टर्ड सेल डीड मिलता है।
5. उद्देश्य
- बैनामा: यह प्रॉपर्टी के हस्तांतरण के लिए दोनों पक्षों के बीच सहमति को लिखित रूप देता है। यह स्वामित्व हस्तांतरण का प्रारंभिक दस्तावेज है।
- रजिस्ट्री: यह बैनामा को कानूनी रूप से मान्यता देता है और प्रॉपर्टी के स्वामित्व को सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज करता है, जिससे खरीदार को पूर्ण कानूनी अधिकार मिलते हैं।
6. लागत और शुल्क
- बैनामा: इसके लिए स्टांप पेपर की लागत होती है, जो प्रॉपर्टी के सर्कल रेट या लेनदेन मूल्य (जो भी अधिक हो) पर आधारित होती है। उदाहरण के लिए, गुरुग्राम में 2025 में सर्कल रेट वृद्धि के बाद, रिहायशी क्षेत्रों में स्टांप ड्यूटी ₹45,000 प्रति वर्ग गज (गुरुग्राम गांव) जैसे रेट्स पर आधारित होगी।
- रजिस्ट्री: इसमें स्टांप ड्यूटी के अतिरिक्त रजिस्ट्रेशन शुल्क देना पड़ता है। गुरुग्राम में, 1 अगस्त 2025 को लागू नए सर्कल रेट्स के कारण स्टांप ड्यूटी में वृद्धि हुई है, जिससे रजिस्ट्री की लागत बढ़ गई है।
7. कानूनी आवश्यकता
- बैनामा: भारतीय स्टांप एक्ट, 1899 के तहत, प्रॉपर्टी के हस्तांतरण के लिए स्टांप पेपर पर बैनामा तैयार करना जरूरी है। हालांकि, यह अपने आप में पूर्ण कानूनी दस्तावेज नहीं है।
- रजिस्ट्री: रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 के तहत, प्रॉपर्टी की बिक्री के लिए बैनामा को रजिस्टर करना अनिवार्य है। बिना रजिस्ट्री के, प्रॉपर्टी का स्वामित्व कानूनी रूप से हस्तांतरित नहीं माना जाता।
8. उदाहरण (गुरुग्राम संदर्भ)
- मान लें, आप गुरुग्राम में ₹1 करोड़ का प्लॉट खरीद रहे हैं।
- बैनामा: आप और विक्रेता स्टांप पेपर पर बैनामा तैयार करते हैं, जिसमें प्लॉट का खसरा नंबर, क्षेत्र, और कीमत (₹1 करोड़) लिखी जाती है। स्टांप ड्यूटी (लगभग 7%, यानी ₹7 लाख) और दोनों पक्षों के हस्ताक्षर होते हैं।
- रजिस्ट्री: आप इस बैनामे को गुरुग्राम के सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में ले जाते हैं, जहां ₹7 लाख स्टांप ड्यूटी और ₹20,000 (लगभग) रजिस्ट्रेशन शुल्क जमा करने के बाद दस्तावेज रजिस्टर होता है। इसके बाद, प्लॉट का स्वामित्व आपके नाम सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज हो जाता है।
9. महत्वपूर्ण अंतर (संक्षेप में)
| विशेषता | बैनामा | रजिस्ट्री |
|---|---|---|
| प्रकृति | दस्तावेज | सरकारी प्रक्रिया |
| उद्देश्य | बिक्री समझौता दर्ज करना | स्वामित्व को कानूनी मान्यता देना |
| कानूनी मान्यता | गैर-रजिस्टर्ड बैनामा कमजोर | रजिस्ट्री के बाद पूर्ण मान्यता |
| लागत | स्टांप ड्यूटी | स्टांप ड्यूटी + रजिस्ट्रेशन शुल्क |
| प्रक्रिया | स्टांप पेपर पर हस्ताक्षर | सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में रजिस्ट्रेशन |
| अनिवार्यता | अनिवार्य, लेकिन अपूर्ण बिना रजिस्ट्री | कानूनी रूप से अनिवार्य |
सुझाव
- वकील की मदद लें: बैनामा तैयार करने और रजिस्ट्री करवाने के लिए प्रॉपर्टी वकील की सलाह लें ताकि दस्तावेज में कोई त्रुटि न हो।
- सर्कल रेट जांचें: गुरुग्राम में 2025 में सर्कल रेट वृद्धि (जैसे DLF क्षेत्रों में 10-20%, बजघेड़ा में 145%) के कारण, बैनामे में सही मूल्य और स्टांप ड्यूटी का उल्लेख सुनिश्चित करें।
- ऑनलाइन सत्यापन: रजिस्ट्री के बाद, गुरुग्राम के जिला प्रशासन पोर्टल (gurugram.gov.in) या JAMABANDI पोर्टल (jamabandi.nic.in) पर रिकॉर्ड जांचें।
- RERA अनुपालन: अगर प्लॉट डेवलपर प्रोजेक्ट का हिस्सा है, तो RERA पोर्टल (rera.haryana.gov.in) पर प्रोजेक्ट की वैधता जांचें।
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